What is Homologation : टेस्ला की गाड़ियों का इंतजार भारत में लाखों लोग कर रहे हैं, लेकिन इनकी लॉन्चिंग को लेकर लगातार देरी हो रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है होमोलोगेशन प्रक्रिया, जो किसी भी गाड़ी को भारतीय सड़कों पर चलाने की अनुमति देने से पहले जरूरी होती है। यह कोई आम प्रोसेस नहीं है, बल्कि एक ऐसी बाधा है, जिससे निपटने में बड़े से बड़े ऑटोमोबाइल ब्रांड्स को पसीना आ जाता है। तो आखिर क्या है यह होमोलोगेशन और यह टेस्ला के लिए इतनी बड़ी रुकावट क्यों बन रही है? आइए, जानते हैं।
What is Homologation ?
क्या होता है होमोलोगेशन?
होमोलोगेशन एक प्रकार की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया है, जो किसी वाहन को किसी खास देश के नियमों और सुरक्षा मानकों के अनुसार प्रमाणित करने के लिए जरूरी होती है। इसका मतलब यह होता है कि कोई भी गाड़ी तभी बाजार में लॉन्च हो सकती है, जब वह उस देश के पर्यावरणीय, तकनीकी और सुरक्षा मानकों पर खरी उतरे। इसमें वाहन के डिजाइन, सेफ्टी फीचर्स, एमिशन लेवल और रोड कंडीशन्स के हिसाब से किए गए टेस्ट शामिल होते हैं।
टेस्ला की लॉन्चिंग पर होमोलोगेशन का असर
भारत में टेस्ला की एंट्री की सबसे बड़ी बाधा यही प्रक्रिया बनी हुई है। अमेरिकी मानकों पर बनी टेस्ला की गाड़ियां भारतीय कानूनों और सड़कों के हिसाब से पूरी तरह से फिट नहीं बैठ रही हैं। इसलिए जब तक यह सभी जरूरी सर्टिफिकेशन नहीं मिल जाते, तब तक भारतीय ग्राहक टेस्ला की गाड़ियां शो-रूम में खड़ी नहीं देख पाएंगे।
भारतीय सेफ्टी स्टैंडर्ड से मेल खाना जरूरी
भारत में वाहनों की सुरक्षा को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। यहां की सड़कें अमेरिका और यूरोप की तरह हाई-टेक नहीं हैं, इसलिए टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भारतीय रोड कंडीशन्स के हिसाब से मॉडिफाई करना जरूरी है। इसके लिए सरकार के सख्त सेफ्टी टेस्ट पास करने होंगे, जिनमें क्रैश टेस्ट, ब्रेकिंग सिस्टम, बैटरी सेफ्टी और अन्य तकनीकी मानकों की जांच शामिल होती है।
भारतीय मौसम और रोड कंडीशन्स के हिसाब से बदलाव
भारत की सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं है। गर्मी के दिनों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, वहीं बरसात में सड़कों पर पानी भर जाता है। टेस्ला की गाड़ियां ज्यादातर विकसित देशों के हिसाब से बनाई गई हैं, जहां रोड्स और क्लाइमेट स्थिर होते हैं। लेकिन भारत में इन गाड़ियों को गर्मी, धूल और पानी जैसी चुनौतियों से गुजरना होगा। होमोलोगेशन प्रक्रिया में यह भी देखा जाता है कि गाड़ी भारतीय माहौल में ठीक से परफॉर्म कर पाएगी या नहीं।
कस्टम ड्यूटी और महंगे टैक्स बने बाधा
टेस्ला की गाड़ियों की कीमत वैसे ही ज्यादा होती है और भारत में लगने वाले भारी भरकम टैक्स इन्हें और महंगा बना देते हैं। भारत में इंपोर्टेड कार्स पर 100% तक कस्टम ड्यूटी लगती है, जिससे इनकी कीमत दोगुनी हो जाती है। टेस्ला ने सरकार से इंपोर्ट ड्यूटी में छूट देने की मांग की थी, लेकिन सरकार चाहती है कि टेस्ला भारत में ही अपनी गाड़ियां असेंबल करे। जब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो जाता, तब तक टेस्ला की लॉन्चिंग अधर में ही लटकी रहेगी।
क्या भारत में बनेगी टेस्ला?
होमोलोगेशन से बचने और टैक्स कम करने के लिए टेस्ला भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने पर विचार कर रही है। अगर टेस्ला भारत में अपनी फैक्ट्री खोलती है, तो सरकार भी उसे कई तरह की छूट दे सकती है। इसके अलावा, लोकल प्रोडक्शन से भारतीय ग्राहकों को कम कीमत पर टेस्ला खरीदने का मौका मिलेगा। हालांकि, यह एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें कुछ साल लग सकते हैं।
टेस्ला कब आएगी भारत में?
फिलहाल टेस्ला की लॉन्चिंग को लेकर कोई निश्चित तारीख नहीं है। लेकिन कंपनी और सरकार के बीच लगातार बातचीत चल रही है। अगर होमोलोगेशन की समस्याएं हल हो जाती हैं और टेस्ला को कुछ नियमों में राहत मिलती है, तो भारतीय सड़कों पर जल्द ही Tesla Model 3 और Model Y जैसी गाड़ियां दौड़ती नजर आ सकती हैं।
अगर आप भी टेस्ला के दीवाने हैं और बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, तो थोड़ा और सब्र रखना होगा। जब यह इलेक्ट्रिक सुपरकार भारत में दस्तक देगी, तो इसका जलवा देखने लायक होगा। अब देखना यह है कि सरकार और टेस्ला के बीच बातचीत क्या रंग लाती है और कब भारतीय ग्राहकों को यह शानदार गाड़ियां चलाने का मौका मिलेगा!